जब खिलेगा नव अंकुर
मानसून से पहले फूटेगा नव अंकुर
सख्त मिट्टी को नर्म हाथों से कुरेदेगा नव अंकुरबादलों के गरजने, बूंदों के टपकने का नहीं होगा इंतजार
काली रात को चीरकर, सूर्य के स्वागत में
पीली पत्ती पर हो जैसे ओस
मेघ की प्यासी धरती पर ऐसा दिखेगा नव अंकुर
शुभ काल में फूटेगा किसलय
काल चक्र की गति को मात देकर फूटेगा किसलय
वसुधा की सूनी गोदी में खेलेगा नव अंकुर
नव कोंपल, नव पल्लव, नव किसलय
खिल उठेगी पवन, बिखरेगा पराग
श्रम से निकले स्वेद को
घने विराट वट को
हंसाएगा नव अंकुर
टिप्पणियाँ
luvd it !!
all my blessings to the nav-ankur :)