बिजली बिन सब सून
बिजली कटौती क्या है दिल्ली में पता नहीं चलता.क्योंकि कभी-कभी बिजली जाती है.
मेरे गृह प्रदेश मध्य प्रदेश में ये पता नहीं चलता कि बिजली क्या है...क्योंकि वहां कटौती ही होती है बिजली नहीं....यही वो दुखड़ा है जिसने मुझे सबसे ज्यादा प्रेरित किया ब्लॉग बनाने के लिए....
कोई 2 महीने पुरानी बात है, मैं अपने घनिष्ठ मित्र रोहित यानी पप्पू कुमार और भावना की शादी में शामिल होने के लिए धार के सिंघाना गया. दिल्ली से इंदौर तक का सफर ठीक था. इंदौर में बिजली कटौती से सामना हुआ लेकिन जब तक वहां बिजली नहीं रहती उस समय तक अपन सोये रहते हैं..तो पता नहीं चला.
बिजली कटौती कितनी विकराल है और क्या हालत है ये तो धार में ही पता चला. जैसे-तैसे साढ़े छह घंटे के सफर के बाद मैं सिंघाना पहुंचा...जगह-जगह रास्ते में भी शादियों के जुलूस मिले...मज़ा आ रहा था देखकर...लेकिन सिंघाना पहुंचा तो दंग रह गया. मैं पहुंचा तब तक मेहमान खाना खा चुके थे, रिसेप्शन खत्म होने को था. इन शॉर्ट मालवी में
पत्तल-दूना उठाने को काम चल रियो थो. खैर जैसे-तैसे शुभकामनाएं दीं....अपनी पत्नी ऋचा को दिखाने के लिए और अपने जिगरी छतर सिंह को दिखाने के लिए शादी के कुछ फोटो खींचे (हम सभी एक कॉलेज में पढ़े हैं. वो भी कहानी मज़ेदार है...लेकिन वो कहानी फिर कभी)
हौंसला जुटाकर पप्पू से पूछा कि भाई ये साढ़े छह बजे काम कैसे खत्म हो गया. उसने कहा यहां बिजली तो रहती नहीं,
रात को शादी करके क्या फायदा...मैंने कहा भाई जनरेटर...वो बोले वो भी कब तक दम मारेंगे...डीजल भी चाहिए...
खैर...पप्पू के घर पहुंचे तो वहां आंटी ने कहा कि 4 दिन पहले ही 2 दर्जन चोरों ने हल्ला बोला था.
दूर-दूर तक पुलिस नहीं रहती....बिजली नहीं है तो पड़ोसी भी बाहर नहीं निकलते...वो तो भगवान की कृपा से बच सके नहीं तो चोरों ने मारने की तैयारी पूरी कर ली थी (उस इलाके में चोर मेहनत की कमाई खाते हैं, आप दे देंगे इससे संतुष्ट नहीं होंगे पिटाई करना कर्तव्य समझते हैं).
मैं उसी अंधकार में अपने अगले मुकाम निसरपुर की ओर चला.
हर रोज आने वाली बस थोड़ी लेट थी...जब तक निसरपुर पहुंचा वहां की कटौती का वक्त शुरू हो चुका था....निसरपुर में अपने मामा ससुर से गुजारिश की कि पूरे दिन का थका हूं...सुबह देर तक सोऊंगा.तो उठाएं न..लेकिन दिल्ली से आऩे वाले कॉल से परेशान था...फोन की बैटरी ने दम तोड़ दिया....मामाजी से गुजारिश की कि फोन की बैटरी चार्ज करने में मदद करें. और सो गया.
सुबह उठा तो उन्होंने फोन मेरे हाथ में थमा दिया, कहा अनुरागजी ये आधी बैटरी चार्ज हो पाई है.
इनवर्टर थोड़ा कम चार्ज है...बाकी की बैटरी धार जाकर चार्ज करना.
मेरे गृह प्रदेश मध्य प्रदेश में ये पता नहीं चलता कि बिजली क्या है...क्योंकि वहां कटौती ही होती है बिजली नहीं....यही वो दुखड़ा है जिसने मुझे सबसे ज्यादा प्रेरित किया ब्लॉग बनाने के लिए....
कोई 2 महीने पुरानी बात है, मैं अपने घनिष्ठ मित्र रोहित यानी पप्पू कुमार और भावना की शादी में शामिल होने के लिए धार के सिंघाना गया. दिल्ली से इंदौर तक का सफर ठीक था. इंदौर में बिजली कटौती से सामना हुआ लेकिन जब तक वहां बिजली नहीं रहती उस समय तक अपन सोये रहते हैं..तो पता नहीं चला.
बिजली कटौती कितनी विकराल है और क्या हालत है ये तो धार में ही पता चला. जैसे-तैसे साढ़े छह घंटे के सफर के बाद मैं सिंघाना पहुंचा...जगह-जगह रास्ते में भी शादियों के जुलूस मिले...मज़ा आ रहा था देखकर...लेकिन सिंघाना पहुंचा तो दंग रह गया. मैं पहुंचा तब तक मेहमान खाना खा चुके थे, रिसेप्शन खत्म होने को था. इन शॉर्ट मालवी में
पत्तल-दूना उठाने को काम चल रियो थो. खैर जैसे-तैसे शुभकामनाएं दीं....अपनी पत्नी ऋचा को दिखाने के लिए और अपने जिगरी छतर सिंह को दिखाने के लिए शादी के कुछ फोटो खींचे (हम सभी एक कॉलेज में पढ़े हैं. वो भी कहानी मज़ेदार है...लेकिन वो कहानी फिर कभी)
हौंसला जुटाकर पप्पू से पूछा कि भाई ये साढ़े छह बजे काम कैसे खत्म हो गया. उसने कहा यहां बिजली तो रहती नहीं,
रात को शादी करके क्या फायदा...मैंने कहा भाई जनरेटर...वो बोले वो भी कब तक दम मारेंगे...डीजल भी चाहिए...
खैर...पप्पू के घर पहुंचे तो वहां आंटी ने कहा कि 4 दिन पहले ही 2 दर्जन चोरों ने हल्ला बोला था.
दूर-दूर तक पुलिस नहीं रहती....बिजली नहीं है तो पड़ोसी भी बाहर नहीं निकलते...वो तो भगवान की कृपा से बच सके नहीं तो चोरों ने मारने की तैयारी पूरी कर ली थी (उस इलाके में चोर मेहनत की कमाई खाते हैं, आप दे देंगे इससे संतुष्ट नहीं होंगे पिटाई करना कर्तव्य समझते हैं).
मैं उसी अंधकार में अपने अगले मुकाम निसरपुर की ओर चला.
हर रोज आने वाली बस थोड़ी लेट थी...जब तक निसरपुर पहुंचा वहां की कटौती का वक्त शुरू हो चुका था....निसरपुर में अपने मामा ससुर से गुजारिश की कि पूरे दिन का थका हूं...सुबह देर तक सोऊंगा.तो उठाएं न..लेकिन दिल्ली से आऩे वाले कॉल से परेशान था...फोन की बैटरी ने दम तोड़ दिया....मामाजी से गुजारिश की कि फोन की बैटरी चार्ज करने में मदद करें. और सो गया.
सुबह उठा तो उन्होंने फोन मेरे हाथ में थमा दिया, कहा अनुरागजी ये आधी बैटरी चार्ज हो पाई है.
इनवर्टर थोड़ा कम चार्ज है...बाकी की बैटरी धार जाकर चार्ज करना.
टिप्पणियाँ
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